Jharkhand Excise constable
Paper 2
हिंदी 10th Important Question
काव्य खंड :-सूरदास :- पद
दास जी का जन्म 1478 मथुरा तथा निधन 1583 पारसौली में।
सूरदास किसके शिष्य रहे :- महाप्रभु वल्लभाचार्य।
दास जी किस मंदिर में भजन- कीर्तन करते थे :- श्रीनाथजी।
दास जी की कृति :- सूरसागर, साहित्य लहरी और सुर सारावाली। सर्वाधिक लोकप्रिय :- सूरसागर।
सूरदास जी वात्सल्य और श्रंगार के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं।
यह पद सूरदास जी के सूरसागर के भ्रमर गीत से लिया गया है।
पहला पद में :- गोपियों ने उद्धव को ताना मारते हुए कहती हैं कि तुम बड़े भाग्यशाली हो अगर तुम कभी स्नेह के धागे से बंधे होते तो ही विरह की वेदना को अनुभूत अवश्य कर पाते।
दूसरे पद में :- गोपियों को यह स्वीकार हो गया था कि उनके मन की अभिलाषाए मन में ही रह गई और कृष्ण के प्रति उनके प्रेम की गहराई को अभिव्यक्त करती है।
तीसरा पद में :- गोपियां उध्दव की योग साधना कड़वी ककड़ी की तरहbबताकर अपने एक निष्ठ प्रेम में दृढ़ विश्वास को प्रकट करती है।
चौथा पद में :- गोपियां उध्दव को ताना मारती है और कहती हैं कि कृष्ण ने अब राजनीति पढ़ ली है।
तुलसीदास :- राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
तुलसीदास जी का जन्म 1532 राजापुर up निधन 1623 काशी।
तुलसीदास जी मानव-मूल्यों के उपासक थे।
रामभक्ति परम्परा में तुलसीदास जी अतुलनीय है उसका साक्ष्य रामचरितमानस है।
तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में और विनय पत्रिका व कवितावाली की रचना ब्रजभाषा में की है।
तुलसीदास जी के प्रमुख कृति :- रामचरितमानस, कवितावाली, गीतावाली, दोहावाली,कृष्णगीतावली विनय पत्रिका आदि।
राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद यह रामचरितमानस के बाल कांड से लिया गया है।
कवि देव :- सवैया और कवित्त।
देव जी का जन्म 1673 इटावा Up निधन 1767 में।
देव जी का पूरा नाम :- देवदत्त द्विवेदी था।
कवि देव के काव्य की विशेषताएं क्या हैं :- अलंकारिकता और श्रृगारिकता।
देव जी रीतिकल के कवि थे।
देव जी के प्रमुख आश्रयदाताओं में औरंगजेब के पुत्र आजमशाह भी था और अन्य भोगीलाल जो उनकी कविता सुन कर लाखों की संपत्ति दान कर दी।
कवि के प्रमुख ग्रंथ :- रसविलास, भावविलास, भावनीविलास आदि।
सवैया में कृष्ण के राजसी रूप सौंदर्य का वर्णन है जिसमे उस युग का वैभव झलकता है।
दूसरे कवित्त में वसंत को बालक रूप में दिखा कर प्रकृति के साथ एक रागात्मक संबंध की अभिव्यक्ति हुई है।
तीसरे कवित्त में :- पूर्णिमा की रात में चाँद-तारो से भरे आकाश की आभा का वर्णन है।
चंदानी रात की कांति को दर्शाने के लिए देव जी दूध में फेन जैसे पारदर्शी बिंब काम में लेते हैं।
Jharkhand Excise constable Paper 2 Hindi 10th
Reviewed by Paritosh Roy
on
May 21, 2019
Rating:
Good
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